कांमण नीं चुसकारौ करियौ 
पीड़ा सह सह गई परी पण,
कांमण नीं चुसकारौ करियौ। 
पोचा ओछा बोल न बोल्या,
कदै न मूंडौ खारौ करियौ। 
                    सहणौ दुख कहणौ नीं किण नैं,
                      आ थारै ही पांती आई। 
                      हांती री हकदार पीर री,
                      धरम लुगाई लारौ करियौ।। 
                    चुल्लै तपी बणाया तैवड़,
                      सेंग जीमगा आय पांवणा। 
                      भूखी सूती ठा नीं किण नैं,
                      गजबम रात गुजारौ करियौ।। 
                    मिनख हाथ री थूं कठपूतल,
                      ज्यूं चावै त्यूं परी नचावै। 
                      बाप धणी भाी सुत कारज,
                      थारै मन परबारौ करियौ।। 
                    खुद रै मन री बात रखावण,
                      बापू कुल री देय दुवाई। 
                      मन थारै री कुण पूछणियौ,
                      घर घर मिनखां धारौ करियौ।। 
                    मिनख जमारै मिलगी छूटां,
                      लागू धरम लुगायां खातर। 
                      बारै पग पड़गौ बालम रौ,
                      सूखौ ही संइयारो करियौ।। 
                    खाली पींपौ गयौ देखनैं,
                      आंथण रा नीं लायौ आटौ। 
                      नित मांग्या पाड़ौसण नटगी,
                      आगै घणौ उधारौ करियौ।। 
                    दुरविसनां पड़तल धर दीनौ,
                      गहणौ वौ'रा घरै अडांणै। 
                      झीरा झीर वेस जोड़ायत,
                      खामंदियै खेंखारौ करियौ।। 
                    मती फणकार सागड़ी 
                      माठा बलद्यां रास मती फणकार सागड़ी। 
                      ज्यां तिलां नहीं तेल घांणी न उतार सागड़ी। 
                    तिग तिग तांग्यां बालपण बहतौ बाटां. 
                      कदै व्है जोध जवान बिना ज करार सागड़ी।। 
                    रह टीवी मं जीव भूलायौ कांम करै नी। 
                      छोरा तौ किरकेट रमण नैं त्यार सागड़ी।। 
                    खावण पैरण अवल घूमबा वाहन चावै। 
                      दुख माईतां देय बम्या सिर भार सागड़ी।। 
                    करतां बतां बौत उछालै थूक हतायां। 
                      आलसिया मोट्यार गया परवार सागड़ी।। 
                    पड़तल हुवौ सरीर करम नैं सूता कोसै। 
                      बरस पचीसां मांय मांनली हार सागड़ी।। 
                    गलियोड़ी गांगांह हियौ दिन रात अमूझै। 
                      इसड़ौ जोबन कियां घालसी पार सागड़ी।। 
                    भेल चीज भरपूर खरी रौ मेल खरावै। 
                      दुसमण देस कुलोभ लागियौ लार सागड़ी।। 
                    बधती दिन दिन जाय आंगणा बिच में भींता। 
                      हेज हेत बिसराय आज संसार सागड़ी।। 
                    फाऊ रौ धन भाय मैंणत री कोनी मन में। 
                      डूबै इसड़ां लोग नाव मझधार सागड़ी।। 
                    इतौ इब फूल मत भाया 
इतौ इब फूल मत भाया। 
बगत नैं भूल मत भाया।। 
                    बिखा रा याद रख दिनड़ा। 
                      गरब सर झूल मत भाया।। 
                    निज ाायापण रौ ारती। 
                      पकड़वा तूल मत भाया।। 
                    छांन सूं महल बणिया पै। 
                      होडां कबूल मत भाया।। 
                    ऐस आराम में इतरौ। 
                      हुवै मसकूल मत भाया।। 
                    संचियौ ान बडेरां रौ। 
                      खरचै फिजूल मत भाया।। 
                    और री देख करणी नैं। 
                      बदलै उसूल मत भाया।। 
                    अण ओपता नित नित नवा। 
                      पैरे दुकूल मत भाया।। 
                    जेठ ठायगी देखौ 
                      जेठ ठायगी देखौ। 
                      बेला बदलायगी देखौ।। 
                    लुकालियौ मांनखौ लारै। 
                      पूंजी पद पायगी देखौ।। 
                    पोल ा्रम ओठ री ााड़ां। 
                      चौडै खुल आयगी देखौ।। 
                    बायरै बसंत री बेला। 
                      कलियां ुकमलायगी देखौ।। 
                    करण री रिच्छा कथणी नैं। 
                      करणी यूं खायगी देखौ।। 
                    कयौ रहण साथ हरमेसां। 
                      बातां बिसरायगी देखौ।। 
                    बगत अड़िजंत रेवण रौ। 
                      काया सुसतायगी देखौ।। 
                    सूंक लेण देण री बातां। 
                      दुनियां नैं भायगी देखौ।। 
                    औ तौ जीणौ जीणौ कोनी 
                      औ तौ जीणौ जीणौ कोनी। 
                      तिरस मिटै नीं पीणौ कोनी।। 
                    लार उाड़ता जावै टांका। 
                      सावुल औ तौ सीणौ कोनी।। 
                    लूखा रोट करै बाथैड़ौ। 
                      ााया घ में ाीणौ कोनी।। 
                    कीकर छणै प्रेम रौ पांणी। 
                      जीवण गाभौ झीणौ कोनी।। 
                    खाली काती मांय भखारी। 
                      साग खरीदण कीणौ कोनी।। 
                    भूख हाडका भांगै भूंडा। 
                      पालौ पंथ चबीणौ कोनी।। 
                    पखापखी मन कारण मिनखां। 
                      निजरां सुभट मपीणौ कोनी।। 
                    कीकर नीर सजैला मटकी। 
                      तलै दाटियौ तीणौ कीनौ।। 
                    भाई छीजै सुख भाई रै। 
                      हिवड़ै हेत हमीणौ कोनी।। 
                    मन रा दूजा मालिक बणगा। 
                      तन रौ बाजै बीणौ कोनी।। 
                    बाड़ मांही तंत कोनी 
                      जागां जागां हुयगा झुरड़ा,
                      बाड माही तंत कोनी। 
                      रुखालै कवण रूप साखां,
                      तंत वालौ कंत कोनी।। 
                    माड़ी छांटा देख मेह री 
                      करसणी नीं यांन कीनौ,
                      तेह बैठिया बिन ही ारती 
                      बावलौ अन गैर दीनौ। 
                      ऊगणै री आस मांही 
                      ऊमरा हरमेस भालै,
                      ाती ममता दांणै अंकुर 
                      बिन नमीं निकलंत कोनी।। 
                    फूल पानड़ा सुख रा साथी 
                      झड़़'र अलगा हुआ गोडी,
                      ऐरेवणा इकसार रंगां 
                      डाल कंटक नहीं छोडी। 
                      औलूं दौलूं फिरै भंवरा 
                      आस रस री लियां उर में,
                      मोलौ उणमणौ देख माली 
                      बाग मांय बसंत कोनी।। 
                    देह आलस मोटार मिनखां 
                      इसौ कबजौ आय कीनौ,
                      भूल्यौ कमतरां मिनख मारग 
                      दोस करमा बैठ दीनौ। 
                      जाय'र सोयां माठ ाोरै 
                      कार इणसूं हुवे कांई,
                      खेती उझाड़ै द्राव डांगर 
                      औ ाणी अड़िजंत कोनी।। 
                    
                    खिनायौ बणबा मिनख आछौ 
सहर में ऊंची भणाई,
तोटौ सोटौ भुगत माईत 
ऊत हित तूमत उठाई। 
खुड़ावण लागौ खोड़ पीछम 
गिणै नहीं समाज घर नैं,
सीखणौ कीं सीखगौ कीं 
गुणण चंगौ पंत कोनी।। 
                    बेटा पोता मौजां मांणै 
                      बीनणी री बात न्यारी,
                      फरज भूल बैठ्या कदीमी 
                      रीत मरजादा बिसारी। 
                      कूकै पड़ियौ एकां कांनी 
                      डोकरा री नहीं गिनरत,
                      सांनी में समझौ मोट्यारां 
                      थें अखै बलवंत कोनी।। 
                    तेवड़ खावण मनड़ौ तड़फै 
                      बासणा री भूख भभकै,
                      जीव नहीं लागै भजन में 
                      गुणी जन नैं देख गबकै। 
                      रामद्वारे क्यूं दोस देवौ 
                      रेणिया माडा करम रा 
                      चेलां बिगडायौ देख खाखौ 
                      सावचेत महंत कोनी।। 
                    चवड़ै धाड़ै अन्याव चालै 
                      न्याव मोला मिनख हातां,
                      डांग फाड़ै डोकौ लांठौ 
                      देख सांप्रत इसी बातां। 
                      मिनख पसुवां सूं ई माड़ौ 
                      साख रौ सै मोल भूल्यौ,
                      आ बागडोर निजरो कर में। 
                      लफंगा डरपंत कोनी।। 
                    हुयगौ लखपती पतिक्रोडां 
                      हाजर्या ऊभा हवेली,
                      पावन्डौ नहीं भरमौ पालौ 
                      कार में नारी नवेली। 
                      करै पसेवौ अवर कोई 
                      घर तिजोरी भरै मालिक,
                      माठ झालै नहीं मनड़ौ 
                      तिसणा तणौ अंत कोनी।। 
                    निसकारा भरै डेंण सूतौ 
                      भींता धुड़ती देख घर री,
                      धपलका ऊछठै देख हिवड़ै 
                      धांस मिलती देख घर री। 
                      रीतां परोटी औ कदीमी 
                      नवी पीठी बात बिगड़ी,
                      बगना हुयोडा दिसा हीणा 
                      पकड़ियौ सुपंत कोनी।। 
                    सै क्यूं त्यार करण हाजर 
                      वोट माथै चोट पड़ियां,
                      मतां विरोधी लगै दीवल 
                      ज्यांरी उखड़ जाय जड़ियां। 
                      कुरसियां नै सलांम करमा 
                      नहीं दीखै देस दुरगत,
                      धन सूंतै सीगै ओलावै 
                      सराजांम सुमंत कोनी।। 
                    कोचरी कूक मत काली 
                      कोचरी कूक मत काली,
                      अबै परभात हुयगी है। 
                      तमस री चावन ाथारी,
                      खूंदियौ खात हुयगी है।। 
                    अनरथ करबा में आगै,
                      अन्यावां विलु बण ज्यावै। 
                      इसां री पूछ थोड़ा दिन,
                      इति करामात हुयगी है।। 
                    सौरम रौ नांव सुणतां ही,
                      मिनख नैं अटपटी लागै। 
                      इसी बद बोह रै हेवा 
                      मांनखौ जात हुयगी है।। 
                    वोट हर साल दै दै नै,
                      लोगड़ा धापगा काठा। 
                      खोट रौ आमनौ करणौ,
                      निजोरी बात हुयगी है।। 
                    नेकपण जेब है खाली,
                      गेह बदनेकिया भरिया। 
                      सबै इधकार समबड रौ,
                      किताबी गाथ हुयगी है।। 
                    कायौ सुसरा नै करियौ,
                      दायजौ लेम घण खातर। 
                      बीनणी छोडगी बनड़ौ,
                      बगनी बारात हुयगी है।। 
                    सितां नै पाय कुण पांणी,
                      तिरपतां सूंपदी झारी। 
                      समरथा हात सौराई,
                      गरीबीं घात हुयगी है।। 
                    भावना सेव री बिसरी,
                      कमाई चावना कोरी। 
                      आं कलमकार सूं कायी,
                      भारती मात हुयगी है।। 
                    हाथ खावण नैं त्यार है 
डावा नैं ही देख जीवणौ,
हाथ खावण नैं त्यार है। 
पग पग पै धोखा देवणियो,
स्वारथियौ संसार है।। 
                    पुरस समाज तणी करतूंतां 
                      अंतस ऊंडी खोट भरी। 
                      बेटी देख भ्रूण पटकावै,
                      करणी माड़ी इसी करी।। 
                      नार विरोध करै नीं गैली,
                      जीवत हुयगी जेम मरी। 
                      घटतौ मांन देख ही खुद रौ,
                      होय रही छै हरख हरी। 
                      ऊंचौ देख राखणी हिम्मत,
                      अंस दुरगा अवतार है। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ 
                      स्वारथियौ संसार है।। 
                    मिनखां री मत इसड़ी मरगी,
                      किण रौ मांनै नहीं कयौ। 
                      नारी जिनस भोग री समझै,
                      मिनखीचारौ खूट गयौ।। 
                      जणणी रौ उपकार भूलगौ,
                      थोथी बातां जोस थयौ। 
                      गिणतकार भूलावै पड़गौ,
                      उलटी गिणती बोल रयौ।। 
                      बरबादी रै मराग बधबा,
                      दौड़ रया इकसार है। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ,
                      स्वारथियौ संसार है।। 
                    तड़फा तौड़ै तिलक दायजै,
                      बिन हैसत फडौ बाकौ। 
                      कमती मिलियां कलै करावै,
                      घर घ बिगड़ रयौ खाखौ।। 
                      मौसा दै दै करै अधमरी,
                      तंतहीम राखै ताखौ। 
                      थें बालौ के खुद बल ज्यावै,
                      आंती आ नारी झांकौ।। 
                      जुग जुग सूं अन्याव झेलती,
                      नार न मांनी हार है। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ,
                      स्वारथियौ संसार है।। 
                    भोली छोरी नैं भरमांय'र,
                      प्रेम जाल मं थें फांसौ। 
                      गरब रयां आधी छिटकावौ,
                      म्हारी कद तूं कह हांसौ।। 
                      चूक करी थें बा फल भुगतै,
                      नारी जीवण भर सांसौ। 
                      ज्हेर खाय के कूवै कूदै,
                      आतमघात गलै फांसौ।। 
                      कोट कचेड़ी कीकर जावै,
                      बदनामीय परिवार है।। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ,
                      स्वारथियौ संसार है।। 
                    छोरी सूनी देख एकरी,
                      कोजिया अप्पहरण करसी। 
                      केी बीच बजार उठावै,
                      दरसक ध्यांन नहीं धरसी।। 
                      इज्जत लूट'र फोटू खींचै,
                      ब्लेक-मेल कारज सरसी। 
                      मिनख नहीं बिगड़ैल पसु ऐ,
                      चारौ नवौ नवौ चरसी।। 
                      करण कमाी ओरूं करैव,
                      छोर्या रौ बौपार है। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ,
                      स्वारथियौ संसार है।। 
                    आधा घर री नारी केई,
                      नर कांरण चढ़ती कोठे। 
                      मुजरा करै मुलकती माडै,
                      पाची कीकर घर लौटै।। 
                      कठपुतली घनिका रै कर री,
                      जीवण बीत रयौ टोटै। 
                      धोला मांय धूड़ पटकावण,
                      मिनख बड़ा आसी ओठै।। 
                      मोटापण रौ सांग रचावै,
                      इसां मिनख धिक्कार है। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ,
                      स्वपारथियौ संसार है।। 
                    घर में चुल्लै माथा फोड़ी,
                      केवटणी सबरा मन नैं। 
                      मोटौ जीव सुहाग समझणी,
                      नहीं मानता दै धन नैं।। 
                      मिनखां तन सुख देवण सारू,
                      होम रही नारी तन नैं। 
                      बाप पसंद रौ धणी धारलै,
                      भूलै नी अपणापण नैं। 
                      रजा रीसटू नाढ नसेड़ी,
                      पीव निभावम नार है। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ,
                      स्वारथियौ संसार है।। 
                    नारी रौ दुख देख देख नैं,
                      धरती ही धूजण लागी। 
                      बे मौसम बरसात बरसणी,
                      काल बाढ़ चिंता खागी। 
                      दुरघटना दिन दूणी बधगी,
                      मौत मांनखै पर छागी। 
                      परदसूण सूं छै परभावी,
                      अन मन धरम राज सागी।। 
                      हाय ! नरा री मिनखा हांणी,
                      समझ लेवण में सारी है। 
                      पग पग पै धोखा देवणियौ,
                      स्वारथियौ संसार है।। 
                    फेर न दीजै मिनखा जूंण 
                      फुरफुर उड़ती गिगन फिरूंला,
                      चिड़ी बणा चुग लैस्यूं चूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीज्यै मिनखा जूंण।। 
                    नान्यौ हुयां हरख सूं निरखै,
                      लेय धमीड़ा होयां धीव। 
                      बरत दुभातां घमौ दिखावै,
                      पोचीवाड़डौ परणी पीव।। 
                      बेटी नैं दाकल डरपावै,
                      लाडलडावै सुत दै जीव। 
                      फोरौ खावण पैरण बेट्यां,
                      घणौ घलावै बेटां घीव।। 
                      हीड़ा तौ बेट्यां ही करसी,
                      बेटा होसी सेव विहूण। 
                      भूल चूक नै म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूण।। 
                    भणण जावण सोरको बालक,
                      सांसौ होम वरक अठपौर। 
                      लदियौ भार किताबां काप्यां,
                      कांधौ कमर हुवा कमजोर।। 
                      असली ग्यांन न पड़ियौ पांनै,
                      ग्यांन किताबी नवौ नकोर। 
                    खुली हवा में दिन खेलण रा,
                      बंद हुयगौ कमरै छौर।। 
                      चख चसमौ बदफिल्मा देखै,
                      आछा संस्कारां, अपसूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    टाइम पास करै पौसालां,
                      लगन नहीं राखै लवलेस। 
                      कुबद ऐब सीखै भणियोड़ा,
                      करणधरा ऐ भारत देस।। 
                      बणगौ जबर वौपुार भणा,ी 
                      होडां होडी लगी हमेस। 
                      नहीं नकोरी पढ़ियां खातर,
                      बेरुजगारी बधी विसेस।। 
                      मजदूरी करता सरमावै,
                      खोड़ खुड़ावै गत आथूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    छोरा ब्याव सगाई खातर,
                      बिकै डांगरां पसुवं जेम। 
                      माथै बूक मांडली माईत,
                      आंरौ पेट भरीजै केम।। 
                      दरजै अवल दायजौ मांगै,
                      सोना गहणौ लेवण नेम। 
                      भांत भात रा कौल करावै,
                      मिटै नहीं बिन देख्यां वेम।। 
                      पीला हाथ होवमा मुसकल,
                      निरधन री बेट्यां दुख दूण। 
                      भूल चूक नै म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    नहीं सुहावै सासू सुसरा,
बीनणियां इसड़ी बदनीत। 
नणद भौजाई राड़ मचावै,
देवर भाभी रही न प्रीत।। 
जेठांणी रौ करै ईसकौ,
देरांणी स्वारथवस सीत। 
घर खेती रौ कांम ऊझड़ै,
गावै आप आप रा गीत।। 
नारी री नारी ही दुसमण,
करतूतां में म्हंनै विधाता,
फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    बीनणियां सिणगार सांतरौ,
                      सजी धजी आभा दै अंग। 
                      फबता वेस फूटरौ गहणौ,
                      रली कली रौ छाजै रंग।। 
                      बरस बीततां बगत न लागै,
                      ढील पड़ै जोबनियै ढंग। 
                      कोकल बधगी कलह करावै,
                      तर तर तन सूखै व्है तंग।। 
                      सल पड़िया तन छाय बूढापौ,
                      बण डोकरियां पकड़ै खूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    जोबन पाय मिनख जोरावर,
                      बोलै गरबी कड़वा बोल। 
                      खाख पिदातौ खंवा कुदातौ,
                      मोद करंतो छाती खोल।। 
                      ऊंधा काम करण में आगै,
                      कुसंगतां रा काला कौल। 
                      झपेटै बूढ़ापै झिलियां,
                      सरतण ढीला पड़गा मोल।। 
                      दियौ जबाब कान दंत आंख्या,
                      कुड़ी कमर घाली तन घूंण। 
                      भूल चूक नैं म्ंहनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    धन कमावतौ धाप न धारै,
                      हिला चोल जोसां पग हाथ। 
                      आपाधापी पखापखी में,
                      दौड़ रयौ लोभी दिनरात।। 
                      मारूती में फिरै माल्हतौ,
                      बंगलां री कहणी कै बात। 
                      मील फैक्ट्री थाट पाट बहु,
                      एक नहीं चालै संघात।। 
                      अड़ मांय आडा नीं आवै,
                      धायोड़ा लै माथौ धूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    गरज काज दोसतियां घालै,
                      करबा में चूकै नहीं घात। 
                      खुद रौ पेट भरण नैं खातर,
                      अवरां पेट लगावै लात।। 
                      रगत चूंस निरबल दुरबल रौ,
                      हरख हतायां जोड़ै हाथ। 
                      करणी कथणी फरक अणूंतौ,
                      इसड़ा करै देस री खात।। 
                      खावै जिकाई ठांव नै फोड़ै,
                      ऐ बणजाय हरांमी लूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    लोभी संत लालची सेवग,
                      करै पईसा कदर पिछांण। 
                      बणगा राम द्वारा मिंदर,
                      किता कमाई रा कमठांण।। 
                      डंडोता नित करै देवलां,
                      बहवै खोटै मारग जांण। 
                      गूंथै जाल कपट मन मांही,
                      बारै रांम रांम री बांण।। 
                      छलै कपट सूं मिनख मिनख नैं,
                      हां परधै रौ आयौ हूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    लंपट लुच्चा चोर लफंगां,
                      लूट बजारां रयौ न चोज। 
                      बदनीती सूं करै बधापौ,
                      गुण्डा रसिक मनावै मौज।। 
                      बदनेकी धन घणौ बखांणै,
                      नेकीवालां पूछै नोज। 
                      झुकतै चेलै बैठे दुनियां,
                      रिदौ पसीजै देखूं रोज।। 
                      देर नहीं अंधेर छा रयौ,
                      पूरी लीनी बात पतूंण। 
                      भूल चूकन नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    गायां री अद नहीं रही धर,
                      भूल गया आंरौ औसांण। 
                      भूखी तिरसी फिरै भटकती,
                      धणियां नीत बिगाड़़ी जांण।। 
                      बैल्यां रौ करसम तज दीनौ,
                      परबस हुवा ट्रेक्टर पांण। 
                      ज्हेर राल अन घम उपजावै,
                      खूट गयौ ससवादों खांण।। 
                      तंतहीण मत हीण हुवा नर,
                      अबलां रा पटकावै भ्रूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।। 
                    कुमत एक सगली दुख कारण,
                      सोच सोच नैं गलै सरीर। 
                      भांत भांत रा रोग भमकिया,
                      धूजै हाथ पगां रौ धीर।। 
                      परियावरण बिगड़तौ जावै,
                      परदूसण में सबरौ सीर। 
                      कीकर मिनख निरोगा रैसी,
                      सुद्ध नहीं जल धरा समीर।। 
                      सूरज तेज सांकड़ौ आवै,
                      तिड़क रही परतां ओजूंण। 
                      भूल चूक नैं म्हंनै विधाता,
                      फेर न दीजै मिनखा जूंण।।                    
                    इमरती रुपाली निजर 
इमरती रुपाली निजर थारी छै। 
इणपै कतरी म्हारी हकदारी छै।। 
                    ऊगंतै सूरज सुख बिचालै आभ। 
                      कमल प्रभात जेम अंखियारी छै।। 
                    दीठ एक ही न्याल करदै देह नैं। 
                      बडभागी सांडो करण तयारी छै।। 
                    करदै दवा रौ काम रोगी डील पै। 
                      दीठ दीदार इम उपाकारी छै।। 
                    गैलाय नसा में भरपूर मांनखौ। 
                      मतवाली जन्नै निजर घुमारी छै।। 
                    गैंण काजलियै नैंण रेख देखनैं। 
                      बेमौसमी बरसात बरसा री छै।। 
                    सूख्या रूंखां नैं हरा च्हेर कर दै। 
                      करामात इसी निजरां पसारी छै।। 
                    बूढ़ां रौ इ जीवड़ौ जवान कर दै। 
                      जठीनै निजर करारी पसारी छै।। 
                    प्रीत पगोत्यै चढतां 
                      प्रीत पगोल्यै चढतां सावचेती राखणौ। 
                      डिगणै रो डर जौर पगां सेती राखणौ।। 
                    नदी सौ उफांण लावै जिंदगी जवानी में। 
                      धरती पै साख चंगी ध्यांन बैती राखणौ।। 
                    हरी हरी दीठ जोवै च्यारूं मेर सावणी। 
                      एक दिन जेठआसी मनां चेती राखणौ।। 
                    ध्रावड़ा रुखाली बिना फसलां उझाड़ दै। 
                      हताई रौ छोड मोह जीव खघेती राखणौ।। 
                    प्रीत री अगन आंच सोरी नहीं झेलणी। 
                      ठंड सूं ठराय कैयां छलां छेती राखणौ।। 
                    सुमेर सूं भार बत्तौ झीणी अणु सूं जांण। 
                      ऊंची बहै प्रीत नभां दीठ तेती राखणौ।। 
                    आगै बियौ रहै आगै बिनै कुण नावड़ै। 
                      पछेती रौ धांन फोरौ बा अगेती राखणौ।। 
                    अबड़ौ मारग प्रीत धार खगां धावणौ। 
                      भलांई गिगन आंख फणां रेती राखणौ।। 
                    अंग में उमंग राखै व्हैम सूं अलायदौ। 
                      धीरज विचारौ धार चाह हेती राखणौ।। 
                    प्रीत री उजाली पख करैल कमाई सु। 
                      एवज ही छोड आस जीव देती राखणौ।। 
                     
                    पन्ना 15